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Monday, February 25, 2019

दिल्ली इंडिया गेट "नेशनल वॉर मेमोरियल" का आज शाम हुआ उद्घाटन प्रवेश निशुल्क

आइए जानते हैं इसके बारे मे विस्तार से

आज यानी के सोमवार  25th फरवरी को  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने दिल्ली में  नेशनल वॉर मेमोरियल स्मारक के मध्य मैं बनी ओबिलिस्क के नीचे ज्योति को प्रज्ज्वलित कर 40 एकड़ में फैले इस   National War Memorial  "को राष्ट्र को समर्पित किया हैं।





इतिहास देखा जाये तो दुनिया के बड़े बड़े देशों में सिर्फ भारत हे ऐसा देश था जिस में अब तक युद्ध स्मारक का निर्माण नहीं हुआ था। अंग्रेजों ने पहले विश्व युद्ध के बाद शहीद भारतीयों की याद में 1931 में इंडिया गेट बनवाया था। और 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3843 सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति का निर्माण हुआ था और आज 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल भी बनकर तैयार हो चुका है | बताया जाता है के प्रधानमंत्री मोदी जी ने सन्न 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान इसका वादा किया था और 2015 में स्वीकृति भी दी थी। प्राप्त हुई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, इंडिया गेट के पास 40 एकड़ में बने इस युद्ध स्मारक की लागत 176 करोड़ रुपये आई है और यह एक साल में बनकर पूरा हुआ है। इसका निर्माण का काम पिछले साल फरवरी में ही शुरू हुआ था। इसकी 16 दीवारों पर 25,942 योद्धाओं का जिक्र किया गया है। ग्रेनाइट पत्थरों पर योद्धाओं के नाम, रैंक व रेजिमेंट का उल्लेख भी किया गया है। देश के इस पहले वॉर मेमोरियल में दर्ज हैं 25 हजार से अधिक शहीदों के नाम, यह सब योद्धा वो हैं जिन्होने 1962 के भारत-चीन युद्ध, 1947, 1965, 1971 व 1999 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और श्रीलंका में शांति बहाल कराने के दौरान अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।




 


बीते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में श्री नरेंद्र मोदी जी ने युद्ध स्मारक का जिक्र करते हुए कहा था कि इसका न होना उन्हें अक्सर दुखी और आश्चर्यचकित करता था। "उन्होंने कहा। के मुझे विश्वास है कि हमारे देशवासियों के लिए, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की यात्रा एक प्रकार की पवित्र स्थान की तीर्थ यात्रा के समान होगी। पत्रकारों से बातचीत मैं लेफ्टिनेंट जनरल राजेश्र्वर ने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में इंडिया गेट के नीचे 1972 में प्रज्ज्वलित की गई अमर जवान ज्योति भी जलती रहेगी। इस नेशनल वार मेमोरियल स्मारक का प्रवेश निशुल्क है | इसका डिजाइन एक वैश्विक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से चुना गया था। 


इसकी बनावट को चार चक्रों के रूप में बनाया गया है, जिनमें से हर एक सशस्त्र बलों के विभिन्न मूल्यों को दर्शाया गया है जो की इस प्रकार हैं 'अमर चक्र' या अमरता का वृत्त, 'वीरता चक्र' या वीरता का वृत्त, 'त्याग चक्र' या बलिदान का वृत्त और ' रक्षक चक्र 'या सुरक्षा का चक्र। 

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में परमवीर चक्र के 21 पुरस्कारों की मूर्तियों को भी  स्थापित किया गया है। इसमें देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार-सूबेदार मेजर (हनी कैप्टन) बाना सिंह (सेवानिवृत्त), सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव और सूबेदार संजय कुमार के नाम शामिल हैं। इसमें कुछ जगहों जैसे की मुख्य क्षेत्र और परम योद्धा स्टाल में समय की पाबंदी होगी। यहाँ हर रोज शाम को रिट्रीट सेरेमनी भी हुआ करेगी। 






इसमें आर्टिफिशियल लाइटिंग और साथ साथ वॉकिंग पैसेज भी हैं ।इसको बनाते समय चक्रव्यूह की सी संरचना लेते हुए इसे बनाया गया है। इसमें चार वृत्ताकार परिसर होंगे और बीच मे एक ऊंचा स्मृति स्तंभ भी है, जिसके नीचे अखंड ज्योति हमेशा जलती रहेगी। इस स्मारक में देश की आजादी के बाद से शहीद हुए 25,942 भारतीय सैनिकों के नाम पत्थरों पर लिखे गए हैं। भविष्य मे ये सशस्त्र बलों के समारोहों के लिए भी यह स्मारक स्थल के रूप में काम करेगा।





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